जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए। मशहूर फिल्म आनंद का ये डायलॉग इस फिल्म के थीम के साथ इस कदर घोला गया है कि इस फिल्म के हर एक कैरेक्टर के साथ आपको कनेक्ट कर देता है स्पेशली वेंकी कैसे? आइए बात करते हैं।
इस फिल्म की स्टोरी एक रियल लाइफ कैरेक्टर पर बेस्ड है जिसका भी नाम वेंकटेश ही था। फिल्म के ट्रेलर से ही आपको इस फिल्म के कॉन्सेप्ट का अंदाजा तो आ ही गया होगा कि फिल्म एक फ्रेंडली किस टॉपिक पर बेस्ड है और क्यू के ट्रेलर में उस बारे में 1 की बात नहीं हुई है तो मैं मानता हूं कि उस टॉपिक को रिव्यू में बता देना पॉयलट दे देने के बराबर होगा। बस ये समझ लीजिए कि एक पेशेंट को एक ऐसी बीमारी है जिससे वो धीरे धीरे मरता जा रहा है और उसकी है एक लास्ट विश आखिरी इच्छा जो चाहते हुए भी उसकी मां पूरा करके नहीं दे सकती।
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अब वो आखिरी इच्छा क्या है और वेंकटेश के साथ लास्ट में क्या होता है? वो आपको फिल्म में देखने को मिलेगा। फिल्म का सबसे स्ट्रॉंग पॉइंट है। इसके एक्टर्स काजोल, विशाल जेठवा, राजीव खंडेलवाल, राहुल बोस, प्रकाश राज, आमिर खान वगैरह वगैरह और हर किसी की एक्टिंग लाजवाब है और यकीन मानो विशाल जेठवा। इस द नेक्स्ट जनरेशन सुपरस्टार इन बढ़िया परफॉमेंस, आजान, एक्टर और काजोल को इन मां अवतार जो डेस्परेट ली अपने बेटे के लिए लड़ रही है। कैसे अपने आप को संभालते हुए आसूं छिपाते हुए अपने बेटे की बीमारी को अपना बनाकर उसे जीती है।
काजोल ने प्रूव कर दिया कि वो आज भी एक्टिंग क्वीन है। फिल्म का टॉपिक थोड़ा डार्क है, इमोशनल है और कुछ सीन्स तो ऐसे हैं जिसमें आखों में आंसू आ ही जाते है। पर विशाल जेठवा इज द ओनली मैन इन दिस फिल्म जिसको देखकर आपको उसके हालत पर तरस भी आएगा और वो खुद आपको हंसाएंगे भी। एडम डैम श्योर के इस फिल्म के एक सीन में जब विशाल शाहरूख का एक डायलॉग मारते हैं आप हँसेंगे ही हसेंगे बटुक कॉमिक मूमेंट बस उस पल के लिये ही था। फिल्म अपने रियल टॉपिक पर फोकस्ड रहती है और पूरे फील में एक सैंड स्टोन मेन्टेन करती है। सेम टाइम अपने प्लॉट को समझाते हुए ये वक्त भी उतना ही लेती है जिससे फिल्म बीट स्लो फील होती है।
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फर्स्ट हाफ में भी और सेकंड हाफ में भी। फर्स्ट हाफ में जहां वेंकी पर कहानी फोकस रहती है। सेकंड हाफ में कहानी शिफ्ट होकर कोर्टरूम ड्रामा मीडिया कवरेज पर चली जाती है, जिसमें कोर्टरूम ड्रामा उतना इम्पैक्ट नहीं करता। सेकंड हाफ में ही राहुल बोस और प्रकाशराज की इंट्री है। साथ में एक रिपोर्टर की भी जिस पर फोकस थोड़ा शिफ्ट किया जाता है। आमिर खान का भी इसमें कैमियो रोल है या कहें एक्सटेंडेड कैमियो और जैसा मैंने इसके ट्रेलर रिव्यू में कहा था वैसा ही कुछ कुछ उनका रोल है। बाकी मुझे पर्सनली मूवी वन टाइम वर्स तो जरूर लगी। पूरे फैमिली के साथ देख सकते हो। ये ऐसी मूवी है। फिल्म में चार छह गाने हैं।
अगर उसको कम कर दिया जाता तो मूवी और ज्यादा फास्ट पेस हो जाती और इंटरेस्ट और ज्यादा बढ़ जाता। बाकी ओवरऑल देखते हुए मैं दूंगा। इस मूवी को थ्री ऑफ फाइव स्टार्स
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