बेसिकली दो मूवीज देखी। मैंने रात को फ्रेडी और सुबह एक्शन हीरो फ्रेडी। आई है। डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर और ऐक्शन हीरो आई है। थिएटर्स में कैसी है दोनों मूवीज। आइये बात करते है। सबसे पहले फ्रेडी रात के 12:00 बजे मूवी आ गई थी और मूवी है दो घंटे की जिसमें फ्रेडी एक डेंटिस्ट होता है।
सेम टाइम वह एक शाय इंट्रोवर्ट गाय भी है जो तलाश कर रहा है। अपने सोलमेट की और एक दिन मिल भी जाती है पर लाइफ में आते है कुछेक ट्विस्ट जिसकी वजह से ये इंट्रोवर्ट एंड शाय दिखने वाला बंदा बन जाता है दरिंदा। पर क्यू विल देखो पता चल जाएगा। फिल्म के फर्स्ट हाफ में स्टोरी एकदम नॉर्मल सी चलती रहती है। लगता है कि क्या है इस स्टोरी में सा पर वेट फॉर द सेकंड हाफ जिस तरह की इस फिल्म की स्टोरी ट्विस्ट आकर पलटी मारती है ना वो आपको सीट से बांधे रखेगी।
ऊपर से कार्तिक आर्यन ने अपने एक्टिंग से जो कमाल किया है वो अलग। ट्रेलर में जो कुछ भी देखा होगा आपने वो बस मूवी का एक परसेंट था और यकीन मानो मूवी ट्रेलर से कई ज्यादा अच्छी है। हां, कुछेक फ्लॉस है जैसे बलून वाला शॉट जो है उसे फिल्म में ज़रा बारीकी से देखना आपको समझ में आ जाएगा कि मैं क्या कहना चाहता हूं। वैसे स्टोरी एक साइको थ्रिलर है तो इस जोनर में जिस तरह से स्टोरी को हैंडल किया गया है वो देखने में बहुत अच्छा लगता है।
साथ में कार्तिक की साइकेट्रिक एक्टिंग भी आपको पसंद आएगी। इसमें साथ देता है। इसका म्यूजिक और गाने भी इसके बहुत अच्छे हैं। इसमें किसिंग सीन है दो तीन बार और वो भी काफी लंबे लंबे। बाकी गाली वगैरह नहीं है। हां, खून खराबा है थोड़ा क्लाइमैक्स में वाकई मुझे इस फिल्म की स्टोरी लाइन अच्छी लगी और योगी बोलता है कि ये मूवी देखना तो बनता है। मूवी देखने के बाद मुझे पर्सनली लगा के दिस मूवी डिजर्व द थियेटर ऑडियंस मैं लोग इस मूवी को थ्री फाइव स्टार्स।
और अब बात करेंगे थिएटर में रिलीज हुई एक्शन हीरो की। अब यहां मुझे लगा कि फ्रेडी थियेटर में रिलीज होनी चाहिए थी। वही एक्शन हीरो अगर ओटीटी पर रिलीज कर देते तो ज्यादा अच्छा होता क्योंकि पूरी मूवी देखने के बाद जो फीलिंग अंदर से आई ना उसे तो एक बात समझ में आ गई कि इस मूवी को ऑडियंस नकारने वाली है। स्टोरी है मानव की जो एक फिल्मस्टार है और एक्शन हीरो के नाम से जाना जाता है क्योंकि फिल्म में ज्यादातर वो एक्शन ही करता है और एक दिन उसके हाथों से गलती से एक गैंगस्टर के भाई का मर्डर हो जाता है।
अब वो हो जाता है फरार और भाई की मौत का बदला लेने गैंगस्टर भी पीछे पड़ जाता है। ऊपर से पुलिस भी अब ये ऐक्शन हीरो अपने आपको इस झमेले से बचा पाता है कि नहीं वो आपको फिल्म में देखने को मिलेगा। अब आयुष्मान का नाम सुनकर ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि आयुष्मान है तो कुछ हटके है ना। इस बार गलत हुआ। स्टोरी में उतना दम नहीं था। बस जो अच्छा था वो था इस फिल्म का एक्शन और कलेवर क्लाइमैक्स। मैं तो ये कहूंगा कि पूरी मूवी क्लाइमैक्स ने बचा ली। जिस तरह से मानो पुलिस और गैंगस्टर के साथ माइंड गेम खेलता है वो देखने लायक है।
फिल्म में स्क्रीन प्ले और स्टोरीलाइन को काफी ढील दी गई है, जिसे कहीं भी कुछ भी होते जा रहा है और बहुत से फ्लॉस भी नजर आते हैं। जैसे एक गैंगस्टर पहली बार लंडन जा रहा है। उसका कोई भी वाहन नहीं है। फिर उसके पास बंदूक कहां से आ गई। एयरपोर्ट के सिक्युरिटी चेक का क्या हुआ? बहुत से एक्शन सीक्वेंस से हमें पता चलता है कि आयुष्मान के लिए स्टंट डबल का यूज किया गया है। बस आयुष्मान और जयदीप की एक्टिंग और लास्ट का क्लाइमैक्स। इसके लिए अगर आपको ये फिल्म देखनी है तो थिएटर तक जा सकते हो नहीं तो शूटिंग का वेट भी कर सकते हैं।
नहीं तो बीच का ऑप्शन तो आप यूज कर ही लोगे। भरोसा है मुझे तुम पर बाकी मैं दूंगा। इस मूवी को टू टोयोटा फाइव स्टार्स। दोनों मूवीज को देखकर ऐसा लगा के जो नहीं होना चाहिए था वो हुआ। फ्रेडी थिएटर में होनी चाहिए थी और ऐक्शन हीरो ओटीटी पर। खैर अपनी अपनी चॉइस आप बताओ। अगर आपने मूवी देखी है तो दोनों में से बेटर कौन सी है?
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