subhedar movie review in hindi | subhedar (2023)  hindi Movie Review
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subhedar movie review in hindi | subhedar (2023) hindi Movie Review

subhedar movie review in hindi

फ़रज़ंद पत्ते शिकस्त, पावन खिंड शेर। शिवराज के बाद उन्हीं सब फ़िल्म के मेकर फिर एक बार लेकर आए हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी से जुड़ी और वीर तानाजी मालुसरे के शौर्य गाथा को बड़े स्क्रीन पर दिखाती एक फ़िल्म सूबेदार जो एक मराठी लैंग्वेज फ़िल्म है। वैसे फ़िल्म अगर किसी नॉन मराठी को देखनी है तो इंग्लिश सबटाइटल्स आपको हर थिएटर में मिल जाएंगे।

और इसके पहले ओम राउत के डायरेक्शन में बनी तानाजी फ़िल्म अगर आपने देखी है तो उसी स्टोरी लाइन को दर्शाती मराठी लैंग्वेज और मराठी कास्ट को लेकर ये फ़िल्म कैसी है? ये बात करते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के मामलों ने स्वराज की स्थापना के लिए कैसे बलिदान दिया? उन्हीं ऐतिहासिक रियल स्टोरी पे बेस्ट है यह फ़िल्म सूबेदार हालांकि इंडिया में बहुत से लोगों ने इवन मराठी लोगों ने भी अजय देवगन की तानाजी मूवी देखी होगी तो इस फ़िल्म के बहुत से सीन्स का प्रोडक्शन क्वालिटी का अजय देवगन की तानाजी से कंपेर होना बहुत ही नॉर्मल सी बात है लेकिन इस मूवी में अजय देवगन की तानाजी से ज्यादा बहुत छोटी छोटी बातो पे ध्यान दिया गया है। बट जहाँ छोटी छोटी बातो पे ध्यान देना इस फ़िल्म का प्लस पॉइंट है वही उसी छोटी छोटी बातों की वजह से इस फ़िल्म की लेंथ बड़ी हो गई है और वो समे पौंड नेगेटिव में भी बदल जाता है। लेकिन अगर तानाजी के साथ इस फ़िल्म के कंपैरिजन को थोड़ा बाजू में रखें तो फ़िल्म आपको लंबी जरूर महसूस होगी। ऐसा लगेगा की मेन टॉपिक पर तो ये फ़िल्म सिर्फ सेकंड हाफ में बात करती है और ये है भी ऑलमोस्ट 3 घंटे की, जिसमें फर्स्ट हाफ की लेंथ स्टोरी वाइज ज्यादा लगने लगती है।

जहाँ तानाजी आम इंसान से सरदार और सरदार से सूबेदार कैसे बने, उस पॉइंट ऑफ क्यूँ से स्टोरी चलती रहती है? और सेकंड हाफ में जाके कहा कुंडा ना जीतने की लड़ाई दिखाई जाती है। हालांकि सेकंड हाफ के कुछ लड़ाई वाले सीन्स के वजह से कुंदना को जीतने की प्लानिंग के चलते फ़िल्म में ग्रिप वापस आ जाती है और वैसे देखा जाए तो किसी भी हिस्टोरिक मूवी में एक एक हिस्टोरिकल मोमेंट आगे बढ़ रहे हैं। कहानियों के लिए इम्पोर्टेन्ट होता है लेकिन यहाँ पर्सनली मुझे लगा कि इस फ़िल्म से बहुत से सीन ऐसे थे जो हटा देने चाहिए थे और फोकस करना चाहिए था। उदयभान और कोंढाणा की लड़ाई पर ऊपर से जो उदयभान का कैरेक्टर है उसे और थोड़ा विलन इस दिखाते। दमदार दिखाते उसकी स्टोरी लाइन को भी थोड़ा और टाइम दे देते हैं तो किसी फ़िल्म में जो विलन वाला पर्सपेक्टिव होता है ना, वो स्टोरी में और भी पकड़ मजबूत कर देता है। तो वो विलन पॉइंट अगर थोड़ा और स्ट्रांग होता तो इस फ़िल्म में वो जो पकड़ वाली जो मैंने बात की थी वो भी और मजबूत हो जाती। बट इस फ़िल्म के क्लाइमैक्स में जीस तरीके से फाइट सिक्वेंस और टेंशन वाला माहौल बनाया गया है। एक जबरदस्त स्पीच भी दी है जो आपको दे देती है तो इस पूरे फ़िल्म में वो क्लाइमैक्स आपका दिल जीत लेगा।

बाकी अगर आपको हिस्टोरिक फिल्म्स देखना पसंद है और आप युवराज आज तक से जुड़ी पिछली चार मूवी को भी फॉलो कर रहे हो तो ये पांचवी मूवी भी आप जरूर देख सकते हो। मेरी तरफ से इस फ़िल्म को थ्री आउट ऑफ फाइव स्टार्स मिलते है।

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